ज्येष्ठ मास वट सावित्री व्रत 2025
जय माता दी मित्रों आज इस article में हम चर्चा करेंगे कि व सावित्री व्रत कब है?
26 मई को है 27 मई को कैसे आपको पूजा पाठ करना चाहिए?
इसके बारे में चर्चा करेंगे। उसके महत्व के बारे में चर्चा करेंगे। मित्रों व सावित्री व्रत के बारे में बात करें तो यह अखंड सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है। दांपत्य सुख में वृद्धि के लिए किया जाता है।
शास्त्रों में इसमें एक कथा आती है। सावित्री और सत्यवान की कथा आती है। जिसमें सत्यवान को कष्ट होता है। यमराज उसके प्राण हर लेते हैं। उसके बाद सावित्री अपने व्रत और तप बल के कारण यमराज के हाथों से सत्यवान को सुरक्षित लेके आ जाती है। जीवन दान दिलवा देती है यमराज के हाथों से। यानी कि ये कथा के माध्यम से हमको यह समझाया जाता है कि अटूट श्रद्धा अटूट प्रेम के बल से सब कुछ हासिल किया जा सकता है। इंपॉसिबल भी पॉसिबल हो सकता है। यदि आपकी श्रद्धा है, आपकी भक्ति है, अटूट प्रेम है अपने पार्टनर के प्रति तो आप पार्टनर के ऊपर आया हुआ कष्ट भी दूर कर सकते हैं।
यह कथा हमें समझाती है। इसी प्रकार से वट सावित्री व्रत में जो कंफ्यूजन चल रही है कि ये 26 मई को है 27 मई को इसके बारे में चर्चा कर लेते हैं। पंचांग के अनुसार देखा जाए तो अमावस्या का प्रारंभ 26 मई दोपहर को दिन में 12:11 से प्रारंभ हो के 27 मई सुबह 8:31 तक कहीं ना कहीं अमावस्या रहने वाली है। क्योंकि वट सावित्री वार दिन में मनाया जाता है।
शाम को पूजा होती है और वट के वृक्ष की पूजा होती है। पूरा दिन का कार्यक्रम है। तो दिन के महोत्सव के कारण वट सावित्री व्रत 26 मई 2025 को ही मनाया जाएगा। यह आप नोट कर लें। चलिए अब वट सावित्री व्रत में किस प्रकार से पूजा पाठ करनी चाहिए इसके बारे में हम चर्चा कर लेते हैं।
सबसे पहले 26 मई 2025 में आपको प्रातः काल में उठने के बाद स्नान आदि के कार्य से महिलाओं को निवृत्त होने के बाद पीले कपड़े या लाल वस्त्र धारण करना अति उत्तम रहता है। साथ ही साथ उसके बाद आप मंदिर की सफाई करें। उसके बाद लकड़ी की चौकी लें। उसमें पीला वस्त्र बिछाकर आपको क्या करना है? भगवान विष्णु जी की की तस्वीर आपको अंक स्थापित करनी है। माता सावित्री की आपको तस्वीर स्थापित करनी है। और वट वृक्ष की तस्वीर आपको स्थापित करनी है। और उसके बाद हाथ जोड़ के हाथ में कुछ दक्षिणा जौन तिल लेके सीधे हाथ के अंदर जौन तिल और कुछ दक्षिणा लेके मैं जो भी आपका नाम है अपने पति की दांपत्य सुख वृद्धि के लिए अपने प्रेम के और अपने दांपत्य सुख में वृद्धि के लिए सौभाग्य में वृद्धि के लिए यह व्रत करना चाहती हूं और इस प्रकार से बोलकर आप संकल्प विष्णु भगवान माता सावित्री और वट पर जरा जरा सा छोड़ दें तो पहले आप संकल्प करें जो भी आप व्रत करना चाहते हैं।
उसके बाद आपको क्या करना है?
पूजा की कुछ सामग्री भी अपने पास रखनी है। आपको वट वृक्ष का चित्र चाहिए या वट वृक्ष की एक डाली आप रख लीजिएगा। एक टहनी रख लीजिएगा। रक्षासूत्र आपको रखना है जिसे कच्चा सूद भी कहा जाता है। रोली आप रखिएगा। चंदन रखिएगा। सुपारी चावल अपने पास रखिएगा थाली में। कुमकुम आप रखिएगा। फूल आप रखिएगा और पीले फूल ले लेंगे। लाल फूल ले लेंगे तो अति उत्तम है। फल पांच प्रकार के फल आप रखिएगा, सिंदूर रखिएगा, एक नारियल रखिएगा और पानी का एक कलश आपको रखना है अपने साथ में और एक आपको मिठाई रखनी है और वट सावित्री आपको चित्र आपको रखना है और कहीं ना कहीं वट सावित्री व्रत कथा की किताब होती है वह भी आप रख लीजिएगा और श्रृंगार जो 16 श्रृंगार होता है वह पूजा पाठ की दुकान से मिल जाता है। वह भी आप अपनी थाली में रख लीजिएगा।
तो यह पूजा की सामग्री रखना ना भूलें।
सबसे पहले आपको क्या करना है? अह सबसे पहले आपको घर के अंदर जो आपने विष्णु लक्ष जो सावित्री माता की की फोटो स्थापित की है व्रत और वट वृक्ष की फोटो स्थापित करी है वहां ओम श्री गणेशाय नमः ओम गणना त्व्हा गणपति गुंगवाम प्रणाम तत्वा प्रपति गुंगवाम निधि नाम तत्वा निधिपति गुंगवाम वसोम आहम जान गर्भदम तुम जा गर्भदं अंबे अंबिक अंबालिक नमान अतिथना सतसुभद्रिका काम पील वाचनी कोई भी मंत्र का जाप करते हुए सबसे पहले आपको दीपक और धूप जलाना है। आप ओम श्री गणेशाय नमः बोलते हुए ओम वैष्णवे नमः बोलते हुए यह दीपक और धूप चढ़ा दीजिएगा।
उसके बाद आपने आपको क्या करना है?
आपने यह दीपक और धूप जला दिया। पीले पुष्प गणेश जी गणेश जी का ध्यान करते हुए विष्णु भगवान जी का ध्यान करते हुए आपने पहले विष्णु भगवान पे चढ़ा दिया। उसके बाद सावित्री मां पे चढ़ा दिया और वट वृक्ष पे आपने चढ़ा दिया। यह याद रखिएगा। उसके बाद आपने क्या करना है कि वट वृक्ष पे आपको दिन के समय पे आपको जाना है और वट वृक्ष पे चारों तरफ पे कच्चा सूत आपको लपेटना है। तीन बार, पांच बार, सात बार, 11 बार, 21 बार यह लपेटा जाता है। विषम संख्या में लपेटा जाता है। यह याद
रखिएगा। उसके बाद आपको वट वृक्ष को जल देना है। वहां पर आपको दीपक और धूप आपको जलाना है। जो श्रृंगार आप लेके आए हैं वो आप चढ़ा दीजिएगा। जो पांच प्रकार के फल लेके आए हैं वट वृक्ष को चढ़ा दीजिएगा। जो मिठाई लेके आए हैं वो वट वृक्ष को आप अर्पित कीजिएगा। जो भी आप सिंदूर अक्षत इत्यादि लेके आए हैं वो वट वृक्ष की एक बार पूजा में आपको अर्पित करना है। और वट वृक्ष से बाद में आपको हाथ जोड़कर प्रार्थना करना है। जिस प्रकार माता सावित्री के सुहाग की आपने रक्षा की। इसी प्रकार से मेरे सुहाग की भी रक्षा करना और सारी सामग्री आप चढ़ा दीजिएगा।
उसके बाद आपको क्या करना है?
शाम के समय पे वट सावित्री व्रत की कथा आपको पढ़नी है और उसके बाद आपने जब कथा कर ली, कथा करने के बाद विष्णु भगवान जी की आरती कर ली। उसके बाद आपको पूरे दिन और पूरे रात व्रत करना है और अगले दिन इस व्रत का पारण होगा। यानी अगर आप 26 मई को यह व्रत कर रही हैं तो रात को तोड़ना नहीं है। 27 मई को अगले दिन आपको पारण करना है। याद रखिएगा आपका व्रत अगले दिन तक रहेगा। याद रखिएगा। तो इस प्रकार से वट सावित्री व्रत का आपको पालन करना है। उस दिन पति से लड़ना नहीं है। तामसिक भोजन नहीं करना है। स्टील के लोटे के अंदर कोशिश कीजिएगा। या लोहे के बर्तन के अंदर आप जल ना दें तो ज्यादा अच्छा है। यह थोड़ा सा आप ध्यान रख लीजिएगा।
तो मित्रों इस article में बस इतना ही। मुझे दीजिए इजाजत। जय माता दी।