अपरा एकादशी व्रत पूजाविधि महत्व” “चमत्कारिक कथा” राजा महिध्वज की आत्मा की मुक्ति

अपरा एकादशी व्रत पूजाविधि महत्व” “चमत्कारिक कथा” राजा महिध्वज की आत्मा की मुक्ति

अपरा एकादशी कब है? 2025 में अपरा एकादशी कब है? अपरा एकादशी 2025 में 19 मई को मनाई जाएगी। यह एकादशी ज्यष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को होती है। आज मैं आपको इस वीडियो में बताने वाली हूं कि एकादशी क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे कारण क्या है? इसके पीछे की कथा क्या है? इसका व्रत कैसे किया जाता है? और इसके पीछे पूजा विधि क्या है? मैं हूं अनुराधा जायसवाल और आपके अपने चैनल ग्रो अप हिंदी में एक बार फिर से आपका बहुत-बहुत स्वागत है। अपरा एकादशी का व्रत पापों का नाश और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। 

अपरा का अर्थ 

अपरा का अर्थ होता है जिसका कोई बराबरी नहीं हो। यह एकादशी व्रत इंसान को उसके पिछले पापों से मुक्ति दिला करके आध्यात्मिक शुद्धता और पुण्य प्रदान करती है। मान्यता है कि इस व्रत से ब्रह्म हत्या, पर निंदा, चोरी, झूठ आदि दोष भी नष्ट हो जाते हैं। अब मैं आपको सुनाऊंगी एक बहुत ही रोचक, रहस्यमई और बहुत ही सुंदर कथा जो कि जुड़ी हुई है अपरा एकादशी से। बहुत समय पहले की बात है। एक नगरी थी जिसका नाम था महोदय। महोदय नगरी में राजा महिषमान राज्य करते थे। वह एक पराक्रमी और न्यायप्रिय राजा थे। तभी एक युद्ध में धोखे से विजय प्राप्त करने के कारण उन्हें अपराध बोध सताने लगा। जब भी वे ध्यान करते एक तेज प्रकाश उनकी आंखों के सामने आता और तुरंत गायब हो जाता। उन्हें लगा कि यह कोई दैवी संकेत है। 

उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों से सलाह ली। फिर एक अनुभवी और वृद्ध तपस्वी ने कहा, राजन आपने भले ही युद्ध में राष्ट्र की रक्षा के लिए अधर्म का सहारा लिया हो पर उसका फल तो आपको जरूर मिलेगा। राजा भयभीत हो गए। उन्होंने पूछा क्या प्रायश्चित है इसका? तपस्वी बोले आप अपरा एकादशी का व्रत करें। इस व्रत का पुण्य हजारों यज्ञ तीर्थ और दान से भी अधिक माना गया है।

राजा ने पूरे नियम से व्रत का पालन किया और जब द्वादशी की सुबह स्नान कर पूजा की तो वही तेज प्रकाश फिर से आया। लेकिन इस बार वह रुका रहा और उसमें एक दिव्य स्त्री प्रकट हुई। वह बोली मैं पुणे की देवी हूं। जो अपरा एकादशी से जागृत होती है। आज तुम्हारा पाप नष्ट हो गया। उस दिन से राजा महिषमान ना केवल आत्म शांति से भर गए बल्कि उनका राज्य और अधिक समृद्धशाली और शांतिपूर्ण बन गया। यह कथा महोदय नगरी में ऐसी फैली कि आज भी लोग अपरा एकादशी को पुण्य प्राप्ति के लिए और पापों का विनाश करने के लिए सबसे शक्तिशाली तिथि मानते हैं। 

 

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