क्यों शादी के बाद औरते लगाती सिंदूर ?क्या है उसके पीछेका रहस्य Sindoor ki rahasyamai utpatti shrap hai ya vardan?
सिंदूर की रहस्यमई उत्पत्ति एक देवी का श्राप है। यह वरदान एक साधारण सी लाल रेखा मांग की एक बूंद लेकिन इसके पीछे छिपा है त्रिलोक को हिला देने वाला एक रहस्य । आज की जो माता रानी की कथा है, वह बहुत ही रोमांचक और रहस्यमई है।
क्या है सिंदूर की कहानी:
बहुत समय पहले जब धरती पर धर्म डगमगा रहा था, तब एक असुर ने जन्म लिया। रक्तबीज, उसका खून ही उसका हथियार था। हर बार उसकी एक बूंद धरती पर गिरती एक और रक्त भी जन्म ले लेता। इस युद्ध में देवता हार रहे थे और पृथ्वी पर अराजकता फैल रही थी। सभी देवताओं ने मिलकर के महाकाली महाशक्ति का आवाहन किया। महाकाली महाशक्ति विकराल, प्रचंड और अपराजय थी। उन्होंने युद्ध छेड़ा और हर रक्त बूत को गिरने से पहले ही पी लिया। लेकिन देवी का क्रोध थम नहीं रहा था। कुछ समय पश्चात भगवान शिव का आगमन हुआ।
वो चुपचाप देवी के चरणों में लेट गए। देवी की सासे रुक गई। उनकी दृष्टि शिव पर पड़ी। देवी ने जैसे ही अपने प्रियतम को देखा, उनका उग्र स्वरूप शांत होने लगा। उनकी आंखों से आंसू बहने लगा और तभी देवी की जीभ पर गिरी एक रक्त की अंतिम बूंद जो कि सिंदूर में बदल गई। यह सिंदूर शक्ति है, सौभाग्य है, प्रेम है।
यह स्त्री की रक्षा करेगा जब तक वह इसे श्रद्धा से धारण करेगी। आज भी जब कोई स्त्री सच्चे मन से सिंदूर लगाती है, वह सिर्फ परंपरा नहीं निभाती। वह देवी के उस शक्ति स्मृति को पुनः जीवित करती है। अब जब भी किसी स्त्री की मांग में सिंदूर देखो तो याद रखना कि सिर्फ एक रंग नहीं बल्कि देवी काली का आशीर्वाद है। श्राप से वरदान बनी परंपरा। यही है सिंदूर की असली कहानी।
ऐसी ही अद्भुत रहस्यमई रोमांचक कथाओं को सुनने के लिए माता का आशीर्वाद ले।